सैलवाडा गौशाला में 100 मवेशियों की बेहतर देखभाल, लेकिन बजट की कमी बनी बड़ी चुनौती संसाधनों की कमी से जूझ रही  गौशाला, संचालक समूह ने मांगी नियमित बजट व्यवस्तें

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फिरोज खान

दूखेड़ा –जनपद पंचायत के अंतर्गत आने वाली ग्राम पंचायत सैलवाडा ग्राम में संचालित गौशाला  लगभग 5 वर्ष पूर्व 30 लाख रुपये की लागत से निर्मित हुई यह गौशाला वर्तमान में करीब 100 मवेशियों का सुरक्षित ठिकाना बनी हुई है। गौशाला में भूसा एवं पानी की पर्याप्त व्यवस्था उपलब्ध है, जिससे मवेशियों को किसी प्रकार की दिक्कत नहीं होती। इसके बावजूद गौशाला संचालन करने वाले समूह को लगातार बजट की कमी का सामना करना पड़ रहा है। गौरतलब है कि पूर्व में भी वित्तीय संसाधनों के अभाव के कारण गौशाला की व्यवस्थाएँ प्रभावित हुई थीं और कई बार स्थितियाँ बिगड़ने तक की नौबत आ गई थी। ऐसे हालात को देखते हुए पंचायत ने पूर्व संचालक समूह से संचालन का कार्य वापस लेकर इसे नए बालाजी स्वः  सहायता  समूह को सौंपा। नए समूह ने कुछ समय तक अपने स्तर पर व्यवस्था संभालते हुए गौशाला संचालित की, लेकिन समय-समय पर बजट की कमी उनके लिए चुनौती बनकर सामने आती है। विद्युत व्यवस्था भी नही है गौशाला संचालन समिति के सदस्यों का कहना है कि चारा, पानी, दवाइयाँ, श्रमिकों का मानदेय और अन्य नियमित खर्चों के लिए समय पर बजट मिलना बेहद आवश्यक है। यदि शासन स्तर से निर्धारित राशि समय पर प्राप्त हो जाए, तो गौशाला में और भी बेहतर व्यवस्थाएँ सुनिश्चित की जा सकती हैं। समूह के सदस्यों ने मांग की है कि शासन व प्रशासन गौशाला की महत्ता को देखते हुए बजट की नियमितता सुनिश्चित करे, ताकि किसी भी प्रकार की अव्यवस्था की स्थिति उत्पन्न न हो।

ग्रामवासियों ने भी गौशाला संचालक समूह की बात का समर्थन करते हुए कहा कि मवेशियों की सेवा एक पवित्र कार्य है और इसके लिए ग्राम समाज को भी आगे आकर सहयोग करना चाहिए। कुछ ग्रामीणों ने कहा कि मन में संतोष और आनंद का भाव तब आता है जब हम सामूहिक रूप से ऐसे पुण्य कार्यों में भागीदारी निभाते हैं। ग्रामीणों का मानना है कि यदि शासन, पंचायत और ग्राम समाज तीनों मिलकर साथ चलें तो गौशाला आने वाले वर्षों तक एक आदर्श मॉडल के रूप में विकसित हो सकती है। सेलवाडा की गौशाला न सिर्फ मवेशियों के संरक्षण का केंद्र है, बल्कि यह ग्राम के सामाजिक और सांस्कृतिक दायित्व का प्रतीक भी है। ऐसे में सभी पक्षों द्वारा समन्वय एवं सहयोग बढ़ाकर इसे और सुदृढ़ बनाना समय की आवश्यकता है। ग्राम पंचायत सरपंच का कहना — श्रीमती नीतू/ रामेश्वर साहू का कहना है कि संसाधनों की कमी के बावजूद नए बालाजी स्वः सहायता समूह द्वारा व्यवस्थित रूप से गौशाला संचालक किया जा रहा है यदि शासन स्तर पर संसाधनों की व्यवस्था हो जाए तो यह जिले में अव्वल शासकीय गौशाला हो सकती है अभी लगभग 100 मवेशी इस गौशाला में है जिनका भरण पोषण अच्छी तरह किया जा रहा है बजट के चलते कुछ  कमियां है

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